राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने का ऐलान

जनता की मानसिक सलामती के लिए सरकार की पहल

कोविड -19 महामारी से मानसिक स्वास्थ्य पर हुए प्रभाव को स्वीकार करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि केंद्र एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करेगा।

वित्त मंत्री ने संसद में अपने बजट भाषण में कहा, "महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा दिया है। गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।"

इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) बैंगलोर इसके लिए तकनीकि सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्रियां, विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान और लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच को सुनिश्चित किया जाएगा। इसमें उत्कृष्टता के 23 टेली-मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क शामिल होगा, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) एक नोडल केंद्र होगा।

कोविड महामारी शुरू होने के बाद से शोक, अलगाव, आय की हानि और भय, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को ट्रिगर कर रहे हैं या मौजूदा स्थिति को बढ़ा रहे हैं। बच्चों और किशोरों सहित कई लोगों में दैनिक आधार पर चुनौतियों का सामना करने के कारण शराब और नशीली दवाओं का सेवन, अनिद्रा और चिंता के स्तर में वृद्धि देखी गई है। महामारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ा रही है।

इस मूद्दे पर बोलते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने कहा था कि, “अच्छा मानसिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए बिल्कुल मौलिक है। कोविड-19 ने दुनिया भर में आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को उसी समय बाधित कर दिया है जब उन्की सबसे अधिक आवश्यकता है। विश्व के नेताओं को जीवन रक्षक मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में अधिक निवेश करने के लिए तेजी से और निर्णायक रूप से आगे बढ़ना चाहिए - महामारी के दौरान और उसके बाद भी।"

सरकार के इस कदम की युवाओं ने काफी सराहना की है। केरल की पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा नंदिनी शाजि ने कहा कि, “राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने की सरकार की पहल एक स्वागत योग्य कदम है। इससे खासकर युवाओं को काफी मदद मिलेगी जो 24/7 आजकल कई कारणों से परेशान रहते हैं।” बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में काम करने वाले हर्ष रंजन ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि, “सरकार द्वारा यह काफी अच्छी मुहिम की शुरुआत हुई है। यह देश की मानव पूंजी में एक सचेत निवेश है और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक अच्छा प्रयास है। महामारी की शुरुआत के साथ न सिर्फ शारीरिक नुकसान हुआ  बल्कि मानसिक स्वास्थय का भी नुकसान हुआ है, जिसके बारे में लोग खुल के बात नही कर पाते है। शारीरिक स्वास्थ्य की तरह यह हमें दिखता तो नहीं परंतु अंदर ही अंदर इंसान को खा जाता है। आजकल के ज़माने में गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे ज़रूरी है। आशा है इस मुहिम के द्वारा लोगो को ज़्यादा से ज़्यादा लाभ हो और हमारा देश अधिक तरक्की की राह पर अग्रसर होगा।”

मार्च 2020 में सरकार द्वारा टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस दिशानिर्देश जारी करने के साथ, महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सख्त लॉकडाउन लागू होने के कुछ ही दिनों बाद गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए वर्चुअल परामर्श पसंदीदा चैनल बन गया। गाइडलाइन ने टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थकेयर के बारे में कुछ बहुत जरूरी स्पष्टता भी लाई, जिसके परिणामस्वरूप स्टार्टअप्स के साथ टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म्स में तेजी देखने को मिली।

टेलीमेडिसिन बाजार में भारत के ईहेल्थ सेगमेंट में अधिकतम संभावनाएं हैं। भारत की ईहेल्थ मार्केट ऑपर्च्युनिटी रिपोर्ट, 2021 के अनुसार टेलीमेडिसिन बाजार भारत में 31% की सालाना चक्रवृद्धि बढ़ोतरी दर (CAGR) से बढ़ते हुए, 2025 तक 5.4 बिलियन डॉलर को छूने की उम्मीद है।

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